सीमाओं में बंधे हुए हो,
फिर तुम ज्ञानी कैसे हो.
स्वयं स्वार्थ की मूर्ती हो,
औरों को स्वार्थी कहते हो...
Monday, May 24, 2010
कस्ट सह कर यदि हमे यह लगे कि हमने तो सिर्फ कस्ट ही सहा उससे सीखा कुछ नहीं, तो हमे यह समझ लेना चाहीये कि अब हमारा कुछ भी होने से रहा, हम जहा है, वाही हमे आजीवन अपने आप को पड़े रहने के लिये तईयार कर लेना चाहिये
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