Sunday, May 23, 2010

मदमस्त हवा है छाई, ऋतू सावन की है आई
पड़ गए ड़ाल पर झूले, पवन चली पुरवाई
ऋतू सावन की है आई
हाथो में चूड़ी हरी हरी, झरती बुँदे है बड़ी बड़ी
सोधी खुशबू है छाई, ऋतू सावन की है आई
धान रोपाई शुरू हुई, धरती भी लगती धुली धुली
कोयल ने तान सुनाई, ऋतू सावन की है आई
मेघो का गर्जन सुखद लगे, चिरियो की बोली तन्द्रा हरे
हुयी सुरु बैलो से जुताई, ऋतू सावन की है आई

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