Sunday, July 31, 2016

उत्तर प्रदेश में सब अमन चैन है। सड़क पर लूटती आबरू, खाकी मौन है। उत्तर प्रदेश में सब अमन चैन है। मुख्यमंत्री की पुलिस को धुन रहे कौन हैं। कार में खद्दर-खाकी साधे मौन है। उत्तर प्रदेश में सब अमन चैन है। जिले के थानों का रेट फिक्स है। हर जुबान पर इस सच का जिक्र है। अब इसकी परवाह करता कौन है। उत्तर प्रदेश में सब अमन चैन है। एक बिरादर एक ही जात। थानों पर बैठे स्वजात। समाजवाद का देखो कैसा ढ़ोंग है। उत्तर प्रदेश में सब अमन चैन है। जहर बुती शराब से मर रहे लोग हैं। अपराधियों के हाथों मर रही पुलिस। घर में शोक है। मंत्री बक रहे अपशब्द, गजब ढ़ोंग है। उत्तर प्रदेश में सब अमन चैन है। आ रहा है चुनाव हिसाब देना होगा। झठा सच बताने का अपमान सहना होगा। सत्ताच्युत होने का समय अधिक निकट है। तारो तारनहार समस्या बड़ी बिकट है। लोग बताएंगे दूध में कितना फेन है। उत्तर प्रदेश में सब अमन चैन है ...अंशुमान शुक्ल

Monday, July 18, 2016

कड़ुवा सच 
जीवन एक कड़ुवा सच, स्वार्थ में लिपटा
अपनों तक सिमटा परिभाषित किन्तु कुंठित 
अपनों  की सूचि में बारी बारी सभी पराये
स्वार्थ सिद्धि के समीकरण कलेजे से लगाए
झुलस चुकी आत्मा को सफेदी से छुपाये
जीवन एक कडुवा सच...
परिधि पर नाचता, धुरी सधा
उदय  से अस्ताचल  तक का सफर
सपनो  के बाजार में बिकता हर पल
इंसान होने का दारुण दर्द' इंसानियत बे पर्द
जीवन एक कडुवा सच...

शाम ढली, उड़ चले बगुले 
सूरज का पेट फाड़, घोसलों की ओर 
कुछ अंतिम पल जूझता प्रकाश 
अन्धकार के बाद सुबह होगी 
अँधेरी चादर में आकाश के नीचे 
तारों का त्रिपाल  तान कर 
मैं करता सुबह का इंतज़ार 
रात कटती नहीं, बहुत लम्बी है 
एक झपकी, झूमता शरीर, नींद की गोद 
यक ब यक फुसफुसाते बगुले 
अँधेरे से आती प्रकाश की आस 
सब बदल गया, हार  गई कालिमा 
सुबह  होती है, सूरज  पक्षपात नहीं करता 

Saturday, July 16, 2016

हमने देखे हैं बाबर-अकबर  के दौर
राम भी हमारे हैं, रहीम भी हमारे हैं
 हमारी  सिरजमीं पर  उभरा है ताजमहल
शिव भी हमारे हैं बुद्ध भी हमारे हैं
हमारी मीट्टी  ने पैदा ही गंगा जमुनी तहज़ीब
तुलसी भी हमारे हैं कबीर भी हमारे हैं
 यहाँ  आईयेगा तो  सबकुछ पाइयेगा
हम हैं  उत्तर प्रदेश हम सबसे  निराले हैं 
जिंदगी का न हिसाब है न किताब है...
वो तो बस एक खुली हुई किताब है....