Sunday, May 23, 2010

परिभाषा बदल रही है आज निष्ठा की
परिधि भी बदली है आज प्रतिष्ठा की
संबंधो में भी परिवर्तन परिलक्षित है
बोली लगे है बाजारों में सृष्टा की
इसी धुरी पर घूम रही है धरा हमारी
तिरिस्क्रित है आज प्रेम और प्रतिष्ठा भी
इस धरा पर मूल्य सभी का लग जाता है
संदेह के घरे में है आज निष्ठा भी

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