Monday, May 24, 2010

नहर खा गए, सड़क खा गए
रोटी कपड़ा मकान खा गए
खा गए रोज़गार देश का
भैसों का सारा चारा खा गए
टेलीफ़ोन खा गए तार खा गए
मंदिर मस्जिद साथ खा गए
देश का सौभाग्य खा गए
आपस का विश्वाश खा गए
खा गए गाँधी का सपना
जय जवान जय किसान खा गए
नार खा गए, बांध खा गए
ऊची ऊची मीनार खा गए
पुल खाया पटरी भी खायी
देखो आब गुजरात खा गए
हद कर दी खाने कि सबने
हिंदुस्तान का भाग्य खा गए

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