Thursday, June 28, 2018

टोपियाँ कभी कभार जिन्दा होती हैं। एक खास सर टोपियों में जान फूंकता है।कभी पहन कर तो कभी न पहन कर। टोपियों से भी देश की निर्पेक्षता है। न पहनने पर मुबाहसे-बहस होती है।टोपियाँ कभी सर नहीं चुन पातीं।अब हांथ टोपियों के लिए सर चुनते हैं।किसी के कहने पर किसी के लिए।वो सियासी ताना-बाना बुनते हैं।टोपियाँ कभी कभार जिन्दा होती हैं।
अंशुमान शुक्ल

Thursday, December 14, 2017

सपने बाँटकर हर रोज़ गुज़र जाती है रात। हक़ीक़त और फँसाने में बड़ा फ़र्क़ होता है।। अंशुमान शुक्ल
हमसे क्यूँ माँगते हो रहबरी का हिसाब। चाँद जैसी ही होती है गोल-गोल रोटी।। अंशुमान शुक्ल 
शहर ने बढ़ाया जब गाँव की ओर क़दम।  हल खल चूल्हा चौकी सब दफ़ा हो गये।। अंशुमान शुक्ल
रोज़ सिसक कर मर रहे हैं गाँव खेत खलिहान। कहाँ से लाओगे तुम गृहस्थी का सामान।। अंशुमान शुक्ल
गाँव जब से शहर के फुटपाथों पर आ गया। रिश्तों की सोंधी सुगन्ध कहीं गुम हो गई।। अंशुमान शुक्ल

Sunday, July 31, 2016

उत्तर प्रदेश में सब अमन चैन है। सड़क पर लूटती आबरू, खाकी मौन है। उत्तर प्रदेश में सब अमन चैन है। मुख्यमंत्री की पुलिस को धुन रहे कौन हैं। कार में खद्दर-खाकी साधे मौन है। उत्तर प्रदेश में सब अमन चैन है। जिले के थानों का रेट फिक्स है। हर जुबान पर इस सच का जिक्र है। अब इसकी परवाह करता कौन है। उत्तर प्रदेश में सब अमन चैन है। एक बिरादर एक ही जात। थानों पर बैठे स्वजात। समाजवाद का देखो कैसा ढ़ोंग है। उत्तर प्रदेश में सब अमन चैन है। जहर बुती शराब से मर रहे लोग हैं। अपराधियों के हाथों मर रही पुलिस। घर में शोक है। मंत्री बक रहे अपशब्द, गजब ढ़ोंग है। उत्तर प्रदेश में सब अमन चैन है। आ रहा है चुनाव हिसाब देना होगा। झठा सच बताने का अपमान सहना होगा। सत्ताच्युत होने का समय अधिक निकट है। तारो तारनहार समस्या बड़ी बिकट है। लोग बताएंगे दूध में कितना फेन है। उत्तर प्रदेश में सब अमन चैन है ...अंशुमान शुक्ल