Tuesday, May 25, 2010

साल पूरा होने कि वर्षगाठ, क्या मनानी चाहिये,
आदमी को एक हद तक रुलाना चाहिये
आख का पानी गर सूख गया हो तो कहो,
उनकी शुद्धि के लिये एक और भागीरथ चाहिये
झूठ का गुणगान जब तक सहें तब तक करो,
अधिक बोलने से बेहतर चुप ही रहना चाहिये
महगाई कि मार से अधजले पड़े है चूल्हे
इस बात पर हुक्मरानों को शर्म आनी चाहिये
सालगिरह कि सुबह हुवा एक और हादसा
दो दिनों के बाद ट्रेन का रुका रास्ता
नक्सलियो की गोलिया सुर्ख कर रही खाखी को
आखिर क्या हो गया इस देश कि थाती को
इस पर भी दो मिनट का मौन रखना चाहिये
सरकारों को शुद्ध करने के लिये भागीरथ चाहिये

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