Friday, May 13, 2011

जिसे भी देखो वही कहे है...
हम निःस्वार्थ मित्र है तेरे...
थोड़ा सा बस खून पियेगे...
और साथ रहेंगे तेरे...
मैंने भी मोहताज़ कर दिया..
उनको अपना खून पिला कर...
चौराहों, सड़को गलियो में...
उनको अपना हाथ थमा कर...

1 comment:

  1. वाह ! दोस्ती की बहुत ही खूबसूरत परिभाषा।

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