तुम मोहब्बत की इक ग़ज़ल हो या हो जज्बात
तुझे पाने की उम्मीद बड़ी लगती है..
तेरा आना इक ख्वाब से ज्यादा क्या है..
तेरा होना कोई चीज़ बड़ी लगती है..
तुम रूह में उतरे कुछ इस कदर यारा..
की अब जिस्म से ये रूह बड़ी लगती है..
तुम्हे चाहू, तुम्हे पाऊ तुम्हे अपनाऊ कैसे
तेरे कंधे पर मेरे आसुओ की हर बूंद बड़ी लगती है...
bahut khoob...
ReplyDeleteहैवानों की सोहबत में,
ReplyDeleteमैं भी कुछ ऐसा हो गया,
कुत्ता आया,टुकड़ा खाया,
सीढ़ी पर ही सो गया....
No comment! Please. The issue is beyond my capacity to grab.
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