क्या होगा मंदिर, मस्जिद, मीनारों का
पत्थरो के भीतर कही भगवान बसते है
उन्हें देखो ऊपर की तरफ आख़े गड़ाए
खुदा की आस में आसमान तकते है
ये मंदिर वो मस्जिद, ये पीर वो फकीर
लालची नजरो से इन्सान तकते है
गर मंदिर बना तो क्या हासिल होगा
गर मस्जिद बनी तो क्या खो दोगे
वक्त बहुत है लौट चलो घरो की तरफ
आख उठा कर देखो अपनों की तरफ
इंसान बनना बहुत आसन है, बनो
न हिन्दू बनो न मुस्लमान बनो
Bahut badhiya. Isey to prakashit kerna tha.
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