Monday, June 28, 2010

सालों की बेड़ियों में जकड़ा
कद के हिसाब से बनती सत्ता की बेड़िया
एक, दो, तीन का पहाड़ा पढाती
गिंतियो में बधा ये सुख बहुत बड़ा
अपनी मात्रभूमि से भी काफी बड़ा
समझौता इस सुख की आत्मा है
तभी सभी सत्ताधारी समझौतावादी हो जाते है
कभी मुलायम तो कभी माया के जाल में जकड़े
उम्मीदों की नाव पर सवार,सत्ताधारी होने का ख्वाब
और जनता की आह के बीच
सत्ता का सुख आधा होता है

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