Sunday, May 23, 2010

एक समय ऐसा आएगा दिल्ली होगा कब्रिस्तान
बड़े बड़े भूभागो पर होगी नेताओ की ही दास्ताँ
सभी मुर्तिया हस्ती होगी, तन्हाई पाकर मस्ती में
अकड़ अकड़ कर दंभ भरेगी, अपनी झूटी हस्ती पर
देखेगी जब रुख जनता का रो देगी सन्नाटे में
सोचेगी ये हाल देख का नहीं सोचा था कभी सपने में

2 comments:

  1. बिलकुल सही खा अंशुमन-दिल्ली ही नहीं लखनऊ भी होगा कब्रिस्तान जिसमे बुत आयेंगे हर शबे-बरात पर कब्रों पर लोबान जलाने.

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  2. Kyaa baat hai... bahut sunder.. bahut sateek..
    mann ko chho lene wali rachna.. badhai ho.

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