Monday, May 24, 2010

भूखा बचपन आभावो से भरी जवानी
इंसानों कि भीड़ न दाना और न पानी
घिसी पिटी सी सोच दकियानूसी कहानी
आओ हम सब मिल कर गए हम है हिन्दुस्तानी
विकास देश का हो गयी बिसरी कहानी
बेरोजगारी में सूख रही देश की जवानी
घिसी पिटी सी सोच दकियानूसी कहानी
आओ हम सब मिल कर गाये हम है हिन्दुस्तानी
विकास कि राह सभी ने जेबे भरने कि ठानी
उन्हें क्या मतलब कहा गयी बिजली और पानी
घिसी पिटी सी सोच दकियानूसी कहानी
आओ हम सा मिल कर गाये हम है हिन्दुस्तानी
परायी भाषा हमने अपनाने कि ठानी
हिंदी के साथ हो रही आब भी बेमानी
घिसी पिटी सी सोच दकियानूसी कहानी
आओ हम सा मिल कर गाये हम है हिन्दुस्तानी

4 comments:

  1. blog par apko dekhar achha laga

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  3. maa par likhiye kuch anshumanji achha lagega.vo narm suti sadi ka gudguda ahsas bahut gahre paith jayega.apki kavitaoo ko parvaan chadhane vali vahi to akeli utsaahvardhan karne vali prashansak thiin

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