Monday, May 24, 2010

ये दिल्ली है ये दिल्ली है ये दिलवालो की नगरी है
ये दिल्ली है
यहाँ रोज फैसले होते है, यहाँ भूके बच्चे रोते है
ये दिल्ली है
यहाँ से देश का पेट तो भरता है लेकिन यहाँ भूके नंगे सोते है
ये दिल्ली है
यहाँ पीएम का एक बंगला है, यहाँ मिनिस्टरो का बड़ा रुतबा है
यहाँ मोटरों की एक फौज है. ये दिल्ली है
यहाँ माये भीक भी मांगती है, यहाँ बच्चे पेट देखते है
यहाँ देश भर के विद्वान् आते है, ये दिल्ली है
यहाँ सड़के चौड़ी चौड़ी है, यहाँ पूंजीपतियों की कोठी है
यहाँ खेत न खलिहान है, चाहुओर बस इंसान है
ये दिल्ली है ये दिल्ली है
यहाँ तनहा कुतुबमीनार है, यहाँ इंसानियत बीमार है
यहाँ होता व्यभिचार है, आपस में नहीं प्यार है
ये दिल्ली है
यहाँ उरते हवाईजाहज है, यहाँ रहते बबुसहब है
यहाँ हर चीज़ की कीमत लगती है, यहाँ जिस्म की भी एक सट्टी है
यहाँ धुवो के उठते गुबार है, यहाँ खद्दर में भी दाग है
यहाँ एक चोर बाज़ार है, यहाँ नेताओ की मजार है
यहाँ सहीद इंडियागेट है, यहाँ भूखो का भी पेट है
यहाँ इसको कौन समझता है, जिसको देखो अपनी झोली भरता है
ये दिल्ली है ये दिल्ली है

5 comments:

  1. Kyaaa baaaat hai sir ji..... ADBHUT..!
    DILLI ki bilkul saaf tasveer hai ye.. ise door wala nahi samajh sakta, DILLI EK DIL HAI DARD SE BHARA HUA...aap kavita bhi bahut achchi karte hain, hamen pata nahi tha.

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  2. aapka sms mila.. hamari sthiti bhi aap k jaisi hi hai bhai sahab.

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  3. wah bhaiya
    kya tasveer chanti hai
    kande pr angoch
    bilkul shukul pandit jaisa.
    dilli ko samha kya khub aapne chamkti sadkon ka sach yahi hai jo aane kha.
    DINESH MANI PATHAK.

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  4. wah bhaiya
    kya tasveer chanti hai
    kandhe pr angocha
    bilkul shukul pandit jaisa.
    dilli ko samha kya khub aapne chamkti sadkon ka sach yahi hai jo aane kha.
    DINESH MANI PATHAK.

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